मैंने हाल ही में हिंदी किताबें पढ़ना शुरू किया है। मैंने कुछ समय पहले सत्य व्यास की चौरासी पढ़ी जो मुझे बहुत पसंद आई। उसके बाद, मैंने उनकी बनारस टॉकीज़ और दिल्ली दरबार को भी पढ़ा। मुझे उनकी लेखन शैली पसंद है और क्योंकि वह ‘नई हिंदी’ में लिखते हैं, इसलिए उनकी किताबें आसानी से समझ में आती हैं। सत्य व्यास की ‘उफ़्फ़ कोलकाता’ कल ही ख़तम की। व्यास जी की किताबें पढ़ने का अपना अलग ही मज़ा है। इस किताब ने मुझे हँसाया भी और थोड़ा डराया भी। सत्य व्यास हमेशा अपने उपन्यासों में में कुछ अलग ले के आते हैं ।‘उफ़्फ़ कोलकाता’ सत्य व्यास का पांचवा उपन्यास है और यह उनके पिछले सभी उपन्यासों से अलग है। यह उपन्यास संभवतः हिंदी भाषा की पहली हॉरर कॉमेडी कही जा सकती है। इस लिहाज़ से यह एक पहल भी है और एक नया प्रयोग भी।
कहानी तीन कॉलेज दोस्तों- सिद्धार्थ, रुद्र और चेतन की है। वे लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं और हॉस्टल में रहते हैं। उपन्यास की सेटिंग है- कोलकाता के बाहरी भाग में फैले एक विश्वविद्यालय का हॉस्टल। सिद्धार्थ की मुलाकात एक रहस्यमयी लड़की मोहिनी से होती है। मोहिनी हमेशा अजीब और एकांत स्थानों पर उससे मिलती है और ज्यादातर रात के दौरान। उसके दोस्त हमेशा उसे चिढ़ाते हैं कि उसे एक भूतनी से प्रेम हो गया है। और इस दौरान इन तीन मुख्य किरदारों की ग़लती से हॉस्टल अभिशप्त हो जाता है। एक आत्मा जो अब हॉस्टल में है, हॉस्टल के लड़कों को परेशान करती है पर मारती नहीं। यह आत्मा कौन है ?मोहिनी कौन है? मोहिनी और इस आत्मा के बीच क्या संबंध है? क्या हॉस्टल को आत्मा से छुटकारा मिलेगा? इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए, आपको यह दिलचस्प पुस्तक पढ़नी होगी।
‘उफ़्फ़ कोलकाता’ एक लाजवाब हॉरर कॉमेडी है । यह उपन्यास आपको गुदगुदाने के साथ डराता भी है । किताब में डर, प्रेम और हास्य का दिलचस्प सम्मिश्रण है। डर ऐसा कि आपके दिल की धड़कन तेज हो जाएगी और हास्य ऐसा जो आपको जोर से हंसाएगा।। ठहाके लगाते हुए अचानक भय से मन कांप उठे या भूतनी के आतंक से भयभीत पाठक अचानक खिलखिलाने लगे। और बीच मे प्रेम का संगम। पढ़ते समय हर वक्त मन में जिज्ञासा रहती है कि आगे क्या होने वाला है । कहानी को बड़े ही रोचक तरीके से आगे बढ़ाया गया है। एक के बाद एक ऐसे रोमांचक प्रसंग लगातार आते है जो आपको अंत तक बांधे रखते हैं।
कहानी डरावनी है लेकिन मजेदार भी है। पन्ना दर पन्ना लेखक पूरी तरह से उत्सुकता बनाए रखते हैं। भूत और आत्मा के पसोपेश, डर, बचने के उपाय से जो हास्य उत्पन्न होता है, वही इस कहानी का मूल है। कहानी ख़त्म होते-होते हैरान कर देने वाला मोड़ लेती है। अगर आपने सत्य व्यास द्वारा लिखित चौरासी पढ़ी हैं, तो आप समझ जाओगे कि मेरा क्या मतलब है। लेखक ने कहानी को ऐसे मुकाम पर ला कर छोड़ा जहाँ पाठक को उम्मीद नहीं थी। एक पाठक के तौर पर सत्य जी से निवेदन है कि इस कहानी को आगे बढ़ाया जाये यानि इसका सीक्वल जल्द से जल्द लिखा जाये ।
यह एक तेज़, रोचक उपन्यास है। संवाद बहुत हंसाते हैं, हॉरर में यह काम बहुत मुश्किल है। लेकिन लेखक ने इसे सफलतापूर्वक और खूबसूरती से किया है। हॉरर और कॉमेडी का अभूतपूर्व संगम। इसे पढ़ते पढ़ते समय ऐसा लगेगा कि कोई फिल्म देख रहे हैं। यह किताब किसी वेबसीरीज या फिल्म स्क्रिप्ट के लिए एकदम सही मैटीरियल है। ये किताब मनोरंजक है यदि आप इसे विशुद्ध मनोरंजन के के लिए पढ़ते हैं । लेकिन अगर आप इसे साहित्य की दृष्टि से पढ़ेंगे या अगर आपको ‘चौरासी’ जैसी किताब की कोई उम्मीद है तो आप निराश होंगे।
कहानी अलग है और उसका प्रस्तुतीकरण अच्छा है। एक साधारण कथानक को लेखक ने शब्दों के तड़के से मनोरंजक बना दिया है। भाषा सरल है। लेखन हल्का-फुल्का और मज़ेदार हैं। कहानी की गति अच्छी है। एक बार में खत्म करने वाली किताब है यह। आप इसे आसानी से 3-4 घंटों में पढ़ सकते हैं। यदि आप एक तेज़, रोमांचक और मनोरंजक किताब की तलाश में हैं तो यह किताब आप के लिए है।
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