दिव्य प्रकाश दुबे द्वारा लिखित ‘अक्टूबर जंक्शन’ कहानी है दो लोगों की… सुदीप और चित्रा। सुदीप एक सक्सेसफुल एंटरप्रेन्योर हैं, जिनका स्टार्टअप ‘बुक माय ट्रिप’ बेहद बेहद सफल हो गया है। चित्रा एक संघर्षरत लेखिका हैं जो अपनी पहली पुस्तक प्रकाशित करने की कोशिश कर रही हैं। बनारस के अस्सी घाट पर स्थित पिज़्ज़ेरिया में ये दोनों क्या मिले, मानो बनारस को एक नई कहानी मिल गयी। नींव रखी गई एक खूबसूरत रिश्ते की जिसे कभी नाम नहीं दिया गया। बस जो था, वो बिना शर्त और शाश्वत प्रेम था, और थी 10 अक्टूबर की तारीख़।
10 बरस में घटित थी चित्रा और सुदीप की कहानी। दो लोग जो साल में सिर्फ एक बार मिलते हैं 10 अक्टूबर को, जब वे कुछ देर ठहर के खुद से मिलते हैं। अपनी व्यस्त ज़िन्दगियों और हताशा भरे दिनों से से समय निकालकर, वे एक दूसरे से 10 अक्टूबर को मिलते। कितना अजीब है न, एक दिन समर्पित कर देना किसी और के लिए, और कितना खास भी है। और उससे भी अधिक सुंदर है, किसी ऐसे को पा लेना जिसके साथ आप सब कुछ साझा कर सकते हैं, जिसके साथ आप हंस सकते हैं और रो सकते हैं, जिसके साथ आप ख़ामोशी में भी सहज हैं। इन दस वर्षों में, चित्रा अपनी लिखी किताबों की पॉपुलैरिटी की बदौलत काफी प्रसिद्ध हो गई हैं। वह अब हर लिटरेचर फेस्टिवल की शान है। हर रविवार उसका लेख अखबार में छपता है। बड़े-से-बड़े कॉलेज और बड़ी-से-बड़ी पार्टी में उसके आने से ही रौनक होती है। दूसरी तरफ, सुदीप को अपने स्टार्टअप में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। लेकिन अगर कुछ बदला नहीं है, तो वह है उनका खूबसूरत रिश्ता।
सुदीप और चित्रा कोई टिपिकल हीरो हीरोइन नहीं है। बल्कि ये किरदार हमारे और आपके जैसे लोग हैं। वे परफेक्ट नहीं हैं। और हाँ! ये कोई टिपिकल लव स्टोरी भी नहीं है। ऐसा नहीं है कि उनकी कहानी हमारी कहानी जैसी है। लेकिन फिर भी यह कहानी हमारे दिल को छूती है। एक प्रेम के धागे में पिरोई हुई कहानी है ‘अक्टूबर जंक्शन’ जो शुरू से अंत तक पाठकों की रुचि बनाए रखती है।
यह किताब जीवन के कुछ महीन बेहतरीन पहलुओं को रेखांकित करते हुए प्यार का एक नया रूप प्रस्तुत करती है। कभी-कभी जब आप प्यार को रिश्ते में बांध देते हैं, तो आप उसकी अहमियत खो देते हैं। फ़िर आज़ादी कहीं दिखती नहीं। रिश्तों की जटिलताओं को समझने के लिए यह किताब आपको थोड़ा और परिपक्व बनाएगी। दिव्य प्रकाश दुबे ने अपनी कलम की जादुगरी से पाठकों को प्रेम की एक अलग ही दुनिया से रुबरू कराया है। फिल्मी प्रेम से अलग, उन्होंने पाठकों को उस प्रेम से परिचित कराया जो कि जताया नही जाता, जिसे केवल महसूस किया जाता हैं। जिस अंदाज़ से लेखक ने कहानी को बुना है, वह तारीफ के काबिल है। चित्रा और सुदीप के बनारस में बिताए हुए वो पल, उनकी छोटी छोटी बातों में छुपी हुई उनकी भावनाओं को समझने का आनन्द कुछ अलग ही था।
किताब की शुरुआत में एक प्रस्तावना है और फिर अंत में एक और। यह काफी नया प्रयोग था । किताब की भाषा सहज एवं सरल है। कहीं भी मुश्किल शब्दों का प्रयोग न होने से कोई भी आसानी से इस किताब से जुड़ सकता है। अक्टूबर जंक्शन एक ऐसी किताब है जिसका सुरूर आपके दिल और दिमाग में धीरे-धीरे चढ़ता है। किताब के शुरूआती कुछ पन्ने आपको प्रभावित नहीं करते हैं लेकिन यदि आप धैर्य रखते हैं और पढ़ते रहते हैं तो यह किताब आपको निराश नहीं करेगी। किताब ज्यादा लंबी नहीं है और आप इसे एक दिन में आसानी से पूरा कर सकते हैं। जिन्हें नई हिंदी लुभाती है, जिन्हें परिपक्व कहानियाँ और लयात्मक लेखन शैली पसंद है, उन्हें यह किताब अवश्य पढ़नी चाहिए।
©2021 Shaloo Walia All rights reserved
Buy the book on Amazon: